IAS बनना है तो Risk लो

ias success stories without coaching in hindi

करीब 10 साल पहले डीयू से बीएससी करने के बाद किताबों से कोई खास नाता नहीं रहा डेढ़ साल पहले तक डेढ़ लाख रूपय की नौकरी कर रही थी शादी के बाद ढाई साल का बेटा था पर कुछ अलग करने की चाह में जोखिम लिया और नौकरी छोड़ दी मांगी कोचिंग की बजाय इंटरनेट की मदद से खुद तैयारी कि जब कभी आत्मविश्वास डगमगाया परिवार में हौसला बढ़ाया जी हां यहां बात हो रही है हरियाणा के सोनीपत की अनु कुमारी की जिन्होंने लाखों की नौकरी का आकर्षण एक झटके में तोड़ दिया और अपनी जिद्द व जज्बे से आईएएस बनने निकल पड़ी चूंकि अपने पर पूरा भरोसा था । इसीलिए दूसरे ही प्रयास में सेकंड टॉपर बन गई जिद व जुनून की कुछ ऐसी ही कहानी तीसरा स्थान हासिल करने वाली सचिन गुप्ता की भी है जिन्हें स्कूल और कॉलेज के दिनों में यह तक नहीं पता था कि जाना कहाँ है , पर अपने तरीके व इमानदारी से पढ़ाई की इंडियन कारपोरेट लॉ सर्विसेज में सिलेक्शन हुआ पर उसमें मन नहीं रमा थकान वाली नौकरी के बावजूद IAS बनने के लिए देर रात तक पढ़ाई की कई बार लगा कि उनसे नहीं हो सकेगा पर जिद और जुनून में उनका कदम रुकने नहीं दिया । ias success stories without coaching in hindi

सिविल सेवा परीक्षा में नौवें स्थान हासिल करने वाली दिल्ली के नांगलोई सौम्या शर्मा की कहानी भी कोई कम दिलचस्पी नहीं है दसवीं के बाद ही सुनने की क्षमता कम हो जाने पर उन्हें हियरिंग एड लगवाना पड़ा यहां तक कि सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के दौरान वायरल हो गया हिम्मत के साथ दवाइयां खाकर परीक्षा दी । अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने 1 साल से WhatsApp, Facebook सब छोड़ दिया था हर साल की सिविल सेवा परीक्षा में सफल अभ्यर्थी की कामयाबी के पीछे उसका जुनून ही नजर आता है । सभी सफल IAS में एक बात एक जैसी है वह है , उनकी जीत और जोखिम लेने का जज्बा तभी तो लाखों परीक्षार्थियों की कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच उन्होंने बाजी मार ली साल 2017 में  करीब 1000000 + अभ्यर्थियों ने प्रारंभिक परीक्षा के लिए आवेदन किया जिसमें से करीब 500000 इस परीक्षा में शामिल होगा लगभग 13500 अभ्यर्थियों ने मुख्य परीक्षा के लिए क्वालीफाई किया और करीब ढाई हजार अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में भाग लेने के लिए बुलाया गया और अंतिम मेरिट लिस्ट में 990 कैंडिडेट का चयन [ 750 पुरुष व 240 महिलाएं] किया गया । ias success stories without coaching in hindi




पिछले करीब एक दशक में सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने वालों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि देश के युवाओं में आज भी ब्यूरोक्रेसी के प्रति जबरदस्त आकर्षण है यही कारण है कि MNC और बड़ी कंपनियों की लाखों के पैकेज वाली नौकरियां छोड़ कर भी युवा इसमें हाथ आजमाने से खुद को रोक नहीं पा रहे हैं ऐसे युवाओं को अपने आप पर भरोसा है उन्हें अपनी क्षमता और मंजिल पता है उसे कैसे हासिल करना है इसका रास्ता भी वे खुद ढूंढ और बना रहे हैं उन्हें किसी बनी-बनाई लकीर पर चलना पसंद नहीं यही कारण है कि टॉप रैंक वाले ज्यादातर अभ्यर्थियों ने कोचिंग के बाजार को खुद पर हावी नहीं होने दिया ।  ias success stories without coaching in hindi


500000 परीक्षार्थियों में से 1000 का अंतिम चयन देखकर हर कोई हैरत में पड़ सकता है हमारे प्रधानमंत्री में भी सफल अभ्यर्थियों को भावी लोक सेवक के रूप में बधाई देते हुए उन्हें भी हताश ना होने की बात कही जो इस परीक्षा में सफल नहीं हो सके ।  सिविल सेवा के लिए हर साल लगभग उतनी ही संख्या में चयन होता है इन सभी के प्रोफाइल पर नजर डालने से यह पता चलता है कि अभ्यर्थियों ने सिर्फ मेहनत ही नहीं की बल्कि मंजिल को पाने के लिए अपने भीतर जिद पैदा की यह जिद और जुनून 1 दिन में नहीं आता और ना ही महान सपने देखने पर आ जाता है । इन अभ्यर्थियों ने चाहे जिस दिन से पढ़ाई की हो नौकरी कर रहे थे या नहीं लेकिन जब सिविल सेवा के लिए मन बना लिया तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा अपने निर्णय पर शक नहीं किया खुद पर भरोसा होने से उन्होंने अपने हिसाब से नीति बनाई और पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने से कामयाब हासिल की आज हर कोई उन्हें बधाई देता है पर यह भी सच है कि तैयारी के दौरान उनके कदम भी जरूर डगमगाए कभी-कभी अपनी तैयारी को लेकर शक व थकान हुई होगी तथा जिम्मेदारियां उन्हें कदम पीछे लेने का दबाव बनाती रही होंगी पर अपने आप पर भरोसा होने के कारण दबाव प्रतिकूल परिस्थितियों और नकारात्मकता को उन्होंने खुद पर हावी नहीं होने दिया । ias success stories without coaching in hindi



ऐसा नहीं है कि जो अभ्यर्थी अंतिम रूप से इस परीक्षा में सफल नहीं हो सके वह सभी  योग्य नहीं थे या उन्होंने पूरी मेहनत नहीं कि इस तरह की परीक्षाओं में मामूली अंतर से पिछड़ना आपको पीछे ही नहीं करता बल्कि पूरी कवायद को जीरो कर देता है इसके बाद फिर नए सिरे यानी शून्य से तैयारी करनी होती है हां विश्लेषण करने पर यह जरूर पता चलता है कि आखिर चूक कहां हुई अगली बार उस कमजोरी को दूर करके आगे बढ़ने का मौका होता है । अगर आपको अपना लक्ष्य अच्छी तरह पता है खुद को हर तरह से अच्छा मानते हैं तो कमजोरियों को दूर कर आगे कामयाबी पाने का पुनः मौका है | ias success stories without coaching in hindi 

हां अगर आपके पास अभी कोई अवसर नहीं बचा है तो भी हताश होने की कतई जरूरत नहीं है आप अपने टैलेंट को दूसरी दिशा दे सकते हैं और ऐसा पहली बार नहीं होगा आपसे पहले भी हजारों लाखों युवाओं को अंतिम सफलता से वंचित होना पड़ा है उन्होंने भी को अपने लिए रास्ते तलाश है क्या हुआ अगर ब्यूरोक्रेट नहीं बन सके करियर के अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता से आगे निकल पर वह पहचान बना रहे हैं आज उन्हें कोई मलाल नहीं आप भी खुद को कोसने हताश होने की बजाए अपने मनोबल को ऊंचा रखते हुए अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें । आज देश के ज्यादातर स्टूडेंट का सपना IAS बनने का होता है जिसके सपने में स्कूली जीवन पर देखना शुरु कर देते हैं अगर वह ऐसा करते हैं तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है हां उन्हें यह जरूर बताया जाना चाहिए कि इस सेवा में जाने के लिए और इसके लिए ली जाने वाली यूपीएससी की परीक्षा के लिए किस तरह की क्षमता को विकसित करने की जरूरत होती है क्योंकि इस सेवा के लिए रट्टा मार साल की पढ़ाई बिल्कुल कारगर नहीं होती इसके लिए खुले दिमाग और समझ बूझ के साथ आगे बढ़ने की जरूरत होती है शुरुआती तैयारी के दौरान लगता है कि यह आपसे नहीं हो सकेगा तो अपनी रुचि से किसी अन्य विकल्प पर आगे बढ़े जहां चाह है वहां कामयाबी की कोई ना कोई राह जरूर होती है | ias success stories without coaching in hindi

कई जीत बाकी है, कई हार बाकी है,
अभी तो जिन्दगी का सार बाकी है,
यहाँ से चले है नई मंजिल के लिए,
ये एक पन्ना था, अभी तो किताब बाकी है । ias success stories without coaching in hindi

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