प्रश्न पत्र -IV : सा. अध्ययन( नीतिशास्त्र) Ethics notes

Ethics notes for upsc 

 प्रश्न पत्र -IV : सा. अध्ययन( नीतिशास्त्र)

संघ व मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग एवं अन्य आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले परीक्षार्थियों के लिए यहां Ethics Notes for UPSC – MPPSC – PSC GS Paper IV नीतिशास्त्र पर आधारित महत्वूपर्ण मॉडल प्रश्न पत्र दिये जा रहे है। Ethics notes for upsc


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प्रश्न 1. वस्तुनिष्ठता का क्या अभिप्राय है?

उत्तर- वस्तुनिष्ठता का तात्पर्य है प्रमाणित और स्थापित नियमों और आंकड़ों के आधार पर कार्य करना ताकि किसी कार्य में तार्किकता या निष्पक्षता का भाव है एक सिविल सेवा के लिए वस्तुनिष्ठ होना अनिवार्य है|
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प्रश्न 2. नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में विधि का क्या महत्व है?
उत्तर. नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत के रूप में संसद द्वारा स्थापित विधि संविधान में निहित प्रावधान यथा मौलिक अधिकार मौलिक कर्तव्य तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्व को शामिल किया जाता है|
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प्रश्न 3. भारतीय लोक प्रशासन में नैतिकता या नीतिशास्त्र की क्या उपयोगिता है?
उत्तर. भारत में लोक सेवकों के विभिन्न कार्यों को परखने हेतु अलग से कोई नीतिशास्त्र विकसित नहीं है बल्कि अखिल भारतीय सेवाओं एवं केंद्रीय एवं प्रांतीय लोक सेवाओं हेतु विकसित आचार संहिता क्या आचरण नियम लोकसेवकों से कुछ आदर्शात्मक अपेक्षाएं करता है और उन पर कुछ प्रतिबंध लगाता है|
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प्रश्न 4. लोक सेवकों के लिए आचार संहिता की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर. लोक सेवक अपने कार्यों के दौरान जनता के प्रत्यक्ष संपर्क में आते हैं अतः साधारण जनता के लिए आदर्श होने के लिए उनका नैतिक स्तर उच्च होना चाहिए लोक सेवक खुद को प्राप्त प्राधिकारों के जरिए नागरिकों के जीवन और उनके कार्यकलापों को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं अतः उन्हें उनके अधिकारों के दुरुपयोग से बचने हेतु आवश्यक है|
प्रश्न 5. मूल्य क्या है?
उत्तर. नीति शास्त्र में मूल्यों की किसी व्यक्ति के गुण से मापा जाता है यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति का घोतक  है आज क्रिया के महत्व को प्रदर्शित करता है मूल्य आचरण के लिए मानक प्रस्तुत करता है|
प्रश्न 6. कर्तव्य को परिभाषित कीजिए?
उत्तर. ऐसे कर्म या क्रिया को कर्तव्य कहते हैं जो किसी विशेष मानक के अनुसार होते हैं कर्तव्य का पालन करना आवश्यक होता है काट के अनुसार नियम के प्रति सम्मान की भावना से प्रेरित होकर उसी नैतिक नियम के अनुसार कार्य करने की अनिवार्यता को ही कर्तव्य कहते हैं|
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 प्रश्न 7 . सद्गुण क्या है? 
उत्तर. हर व्यक्ति के अंदर गुण छुपे होते हैं किंतु श्रेष्ठ गुणों को ही सद्गुण कहा जाता है यह स्थाई गुण होता है सुकरात ने ज्ञान को सद्गुण माना प्लेटो ने विवेक साहस संयम और न्याय को प्रधान सद्गुण कहा|
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प्रश्न 8. मनोवृति किसे कहते हैं? 
उत्तर. व्यक्ति विचार करता है उसे कुछ चीजें पसंद होती हैं तथा कुछ नापसंद वह अपने वातावरण का मूल्यांकन करता है इससे उसका व्यवहार बनता है इन सब का मेल है मनोवृति कहलाता है|
प्रश्न 9. संवेगात्मक बुद्धि क्या है?
उत्तर. अपने संवेगों के साथ-साथ दूसरे की भावनाओं को समझना भावनाओं को नियंत्रित करना तथा सामाजिक संबंधों को अपने ज्ञान और बुद्धि से समायोजित करना है संवेगात्मक बुद्धि कहलाता है|
प्रश्न 10. सुख को परिभाषित कीजिए? 
उत्तर. सुख की कोई परिभाषा या शारीरिक अथवा मानसिक कष्ट से मुक्त होना सुख है हमारी इंद्रियों के अपने-अपने विषय होते हैं अच्छी संवेदना ग्रहण करना सुख है सुख एवं आनंद में अंतर होता है सारी इच्छाओं की पूर्ति करना सुख है|
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प्रश्न 11. सुशासन को परिभाषित कीजिए?
उत्तर. विश्व बैंक ने सुशासन को परिभाषित करते हुए उसकी चार विशेषताएं प्रस्तुत की थी
1. लोक क्षेत्र प्रबंधक
2. विकास के लिए उपयुक्त कानूनी ढांचा
3. पारदर्शिता एवं सूचना
4. उत्तरदायित्व
प्रश्न 12. सत्यनिष्ठा क्या है?
उत्तर. किसी व्यक्ति के द्वारा कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहती जो संगठन को प्रभावित करें किसी भी माध्यम से अपनी जिम्मेदारियों से दूर भागना और संगठन के विपरीत कार्य करना सत्य निष्ठा को तोड़ता है अतः सत्यनिष्ठ व्यक्ति की उस जिम्मेदारी को कहते हैं जो नैतिकता के साथ अपना कार्य करने को अग्रसर करती है|




प्रश्न 13. मानक क्या होते हैं?
उत्तर. समाज में प्रत्येक व्यक्ति के मानक का निर्धारण होता है निर्धारण विभिन्न नियमों के आधार पर होता है यह नियम ही मानक होते हैं इन्हीं के आधार पर अच्छे बुरे को अलग किया जाता है|
प्रश्न 14. जवाबदेहीता  क्या है?
उत्तर. जवाबदेहीता  का उद्भव अधिकार से होता है यह व्यक्ति पर किसी कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने का एक औपचारिक दायित्व होता है इसमें कार्य करने वाले व्यक्ति की भी अपनी सफलता और असफलता पर जवाब देने का बंधन होता है|
प्रश्न 15. नैतिक चेतना क्या है?
उत्तर. चेतना का अर्थ है-  बोध या जानकारी| अतः नैतिक चेतना का अर्थ है- नैतिक गुणों का बोध उचित अनुचित धर्म-अधर्म पाप पुण्य आदि नैतिक मूल्य और उनके विचारने में जो मानसिक स्थिति या क्रिया होती है उन्हें ही नैतिक चेतना कहा जाता है|
प्रश्न 16. पारदर्शिता क्या है? 
उत्तर. पारदर्शिता का तात्पर्य प्रशासन के अंतर्गत किए जाने वाले निर्णय क्रियाकलापों विकास योजनाओं पर  व्य्य धन तथा उसकी प्रगति की जानकारी आदि से संबंधित सूचना तक जनता की पहुंच सुनिश्चित होने से है प्रशासन में पारदर्शिता प्रशासकों के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित करने के साथ-साथ प्रशासनिक क्रियाकलापों में जनता की भागीदारी का आधार निर्मित करती है|
प्रश्न 17. नैतिक अभिशासन क्या है?
उत्तर. नैतिक अनुशासन का तात्पर्य शासन तथा प्रशासन के सभी स्तरों पर नैतिक आवरण करने से है इसकी स्थापना तभी संभव है जब निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाए-
1. संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप शासन व्यवस्था का निर्माण करना|
2. विधि के शासन का सम्यक रूप से पालन सुनिश्चित करना|
3. कानूनों का निर्माण इस ढंग से हो कि वह समाज के हित में हो|
4. शासन के सभी स्तरों पर समाज के विभिन्न वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो|
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प्रश्न 18. नैतिक चिंता क्या है? 
उत्तर. कोई ऐसा कार्य स्थिति जिसमें किसी नैतिक पक्ष का उल्लंघन हुआ हो या होने की संभावना हो बेशक अभी तक कर्ता के मन में नैतिक दुविधा उत्पन्न ना हुई हो वह स्थिति उस कर्मचारी या संगठन के लिए कुछ अन्य लाभ भी क्यों ना पैदा करती हो नैतिक चिंता कहलाते है|
प्रश्न 19. नैतिक दुविधा क्या है? 
उत्तर. नैतिक दुविधा एक मानसिक द्वंद की स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति को दो या दो से अधिक विकल्पों में से किसी एक का चयन करना होता है और उसके पास प्रत्येक विकल्प का समर्थन करने वाले मैट्रिक कारण होते हैं नैतिक दुविधा के विकल्पों में से कम से कम किसी एक का नैतिकता आधारित होना आवश्यक है|
प्रश्न 20. नैतिक मार्गदर्शन के रूप में अंतरात्मा का महत्व क्या है?
उत्तर. अंतरात्मा एक आंतरिक विश्वास है जो व्यक्ति को बताता है कि क्या सही है और क्या गलत है या धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक दोनों ही विमर्शों में पाया जाता है यह वह विशिष्ट मस्तिष्कीय कार्य है जिसके सहारे एक बुद्धिमान व्यक्ति किसी कार्य विशेष के गुण-दोष का निर्णय करता है अंतरात्मा विशेष क्रियाकलापों पर विधि या नियम को लागू करती है इसलिए यह विधि की तुलना में अधिक व्यापक अवधारणा है कार्य के दौरान पहली बार रिश्वत लेने पर अंतरात्मा का दबाव बहुत अधिक होता है लेकिन अगर बार-बार ऐसा किया जाए तो धीरे-धीरे अंतरात्मा का दबाव कम होने लगता है|




प्रश्न 21 .अभिक्षमता/ अभिरुचि/ क्षमता क्या है? इसकी विशेषताएं बताइए तथा लोकसेवकों में अभिक्षमता की क्या उपयोगिता है| Ethics notes for upsc
उत्तर. अभिक्षमता से तात्पर्य एक निश्चित प्रकार के कार्य करने की क्षमता से है इसे योग्यता भी माना जाता है इस प्रकार अभिक्षमता व्यक्ति की विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो यह बताता है कि उसे उचित वातावरण तथा प्रशिक्षण दिया जाए तो वह आवश्यक योग्यताओं तथा दक्षताओं को प्राप्त करने की कितनी क्षमता रखता है|
अभिक्षमता अनुभव से सीखें जाने वाली घटना है यह जन्मजात नहीं होती यह प्रत्येक देश काल परिवार समाज संस्कृति में फलती-फूलती रहती है इस प्रकार यह जन्मजात एवं विशेष प्रशिक्षण दोनों से प्राप्त की जा सकती है जैसे लोकसेवकों में विशेष प्रशिक्षण द्वारा प्रशासनिक अभीक्षमता विकसित करना शिक्षक को ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षण की तकनीक सिखाना तथा एक मैकेनिक को प्रैक्टिकल के माध्यम से प्रशिक्षण देना इत्यादि|
इस प्रकार किसी क्षेत्र विशेष में सफलता पाने के लिए अभिक्षमता का होना अति आवश्यक है यद्यपि सभी व्यक्तियों में सामान्य बौद्धिक विशिष्ट योग्यताएं होती हैं फिर उनमें से कुछ में ऐसी क्षमताएं होती हैं जो उन्हें दूसरे से आगे ले जाती है इसे ही अभिक्षमता कहते हैं|
विशेषताएं-
1. किसी व्यक्ति की अभिक्षमता उसके कार्य करने की उपयुक्तता को व्यक्त करती है|
2. क्षमता अर्जित कथा जन्मजात हो सकती है जैसे- गीत गाना जन्मजात भी हो सकता है तथा इसे प्रशिक्षण द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है|
3. यह व्यक्ति के आंतरिक सामर्थ्य को इंगित करती है|
4. किसी व्यक्ति की वर्तमान अभिक्षमता उसकी भावी अभिक्षमता को इंगित करती है जो भविष्य में उचित प्रशिक्षण और वातावरण उपलब्ध होने पर उभर कर सामने आती है|
5. अभियोग्यता कोई वस्तु ना होकर अमूर्त संज्ञा है|
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 सिविल सेवकों में अभीक्षमताएं

1. एक सिविल सेवक में जटिल से जटिल कथन तथा उलझी हुई बात को सरल और पारदर्शी भाषा में लिखने की क्षमता होनी चाहिए यदि शुद्ध अर्थ की जगह किसी वाक्य का शुद्ध अर्थ निकाला जाए तो देश को हानि हो सकता है अतः एक लोक सेवक में भाषा में उत्कृष्टता होनी चाहिए|
2. एक अच्छे लोकसेवक से आशा की जाती है कि वह समाज को उचित नेतृत्व प्रदान करें तथा प्रशासन में जनता को भागीदार बनाने का प्रयत्न करें जिससे प्रशासन पर जनता का विश्वास बढ़ेगा और प्रशासन में पारदर्शिता आएगी|
3. सिविल सेवकों को दक्षता के साथ संचार और संप्रेषण करते रहना चाहिए इसके लिए प्रिंट मीडिया ऑडियो वीडियो NGO तथा वरिष्ठ जनों से साक्षात संपर्क करते रहना चाहिए ताकि उसके विचार स्वभाव और बातें जनता तक सरलता से पहुंच सके|
4. एक सिविल सेवक को परिस्थितियों को समझना विभिन्न तथ्यों को आपस में जोड़ना विश्लेषण करना तथा निष्कर्ष निकालना आदि कार्य करने होते हैं अतः उस में उच्च तर्क क्षमता का होना अति आवश्यक है|
5. एक सिविल सेवा को आंकड़ों को लिखने और समझने का ज्ञान होना चाहिए क्योंकि उनके सभी प्रतिवेदन आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण पर आधारित होते हैं और उन्हें कई प्रकार के प्रतिवेदनों को पढ़ना समझना और उनका विश्लेषण करना होता है इसके लिए उच्च तर्क क्षमता की आवश्यकता होती है|
6. एक सिविल सेवक के करियर में कई बार ऐसे मौके आते हैं कि उन्हें अनेक कठिन निर्णय लेने पढ़ते हैं जैसे सांप्रदायिक दंगों के समय कर्मचारियों की हड़ताल के समय इसके लिए सुलझा हुआ दृष्टिकोण आवश्यक होता है|
प्रश्न 22. सत्यनिष्ठा या सच्चरित्रता को परिभाषित कीजिए इसके प्रकार एवं लाभों का वर्णन कीजिए|
उत्तर. सत्यनिष्ठा अंग्रेजी के intergrity का हिंदी रूपांतरण है जिसका अर्थ होता है भय दबाव पूर्वाग्रह पाखंड तथा लालच से मुक्त होकर संवैधानिक मूल्यों को प्रतिष्ठा रखना| अर्थात संवैधानिक स्थिति में अपने कर्तव्यों का  दृढ़ता पूर्वक पालन करना  ही सत्य निष्ठा है या सिविल सेवा का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत|
सत्य निष्ठा का अर्थ है और परिस्थिति के अनुरूप अपने दायित्वों का निर्वहन करते समय उसमे इमानदारी प्रतिबद्धता विश्वसनीयता तथा पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की भावना होना चाहिए सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों को कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे जनता में उनके प्रति अविश्वास या संदेह का भाव उत्पन्न हो|
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सत्यनिष्ठा के प्रकार

1. बौद्धिक सत्यनिष्ठा: बौद्धिक सत्य निष्ठा से तात्पर्य है कि भयवस क्रोध वास लोभ लालच तथा अन्य किसी दबाव के वश में अपने नैतिक मूल्यों के विपरीत आचरण नहीं करना चाहिए कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए अर्थात हम जैसा व्यवहार करने की दूसरों से अपेक्षा रखते हैं दूसरों के साथ भी हमें वैसा ही व्यवहार करना चाहिए|
2. व्यावसायिक सत्यनिष्ठा: व्यवसाय विशेष में निर्धारण मूल्य मापदंडों तथा नीतियों के अनुसार कार्य करते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है व्यवसायिक सत्य निष्ठा है उदाहरण के लिए अनेक दवा कंपनियों नई दवाओं का गुपचुप तरीके से लोगों पर टेस्ट कर लेती हैं यह व्यवसायिक संस्था का उल्लंघन है|
3. कलाकार की सत्य निष्ठा : एक कलाकार को वही बात करनी चाहिए जो वह वास्तव में सोचता है उसे भय बस या लालच वर्ष कोई भी गलत बात नहीं करनी चाहिए क्योंकि उसकी बातों का समाज पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि वह समाज के एक बहुत बड़े वर्ग का आदर्श है इसलिए उसकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वह झूठ का प्रचार प्रसार ना करें|



 लाभ

1. इससे व्यक्ति की विश्वसनीयता बढ़ जाती है परिणामतः राजनीति प्रशासन तथा व्यापार में उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाती है|
2. यदि ऐसे व्यक्ति से कोई गलती हो गई जाती है तो उसे अपवाद समझता है या लोग उस पर विश्वास ही नहीं करते और यदि करते भी हैं तो यह सोचते हैं कि ऐसा करने के पीछे उसका उद्देश्य गलत नहीं है|
3. इससे व्यक्ति को आत्म संतोष प्राप्त होता है जिससे निष्पादन आदि बेहतरीन होता है|
प्रश्न 23. वस्तुनिष्ठता क्या है उसकी उपयोगिता बताइए तथा लोकसेवकों में इसका क्या महत्व है?
उत्तर. इसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को निर्णय करते समय उन सभी हजारों से मुक्त होना चाहिए जो उसकी व्यक्तिगत चेतना में शामिल है जैसे विचारधाराएं कल्पनाएं पूर्वग्रह रूढ़िवादिता परंपराएं मान्यताएं इत्यादि|
इन सब आधारों के अतिरिक्त उसे केवल उन आधारों को मानना चाहिए जो तथ्यात्मक है और तार्किक की है और जिन्हें मानने के लिए व्यक्ति बाध्य है|
वस्तुनिष्ठता की उपयोगिता–
1. सार्वजनिक नियुक्तियां करते समय|
2. संविदाओ की स्वीकृति देते समय|
3. किसी व्यक्ति विशेष को पुरस्कार लाभ या कार्यों की सिफारिश करना|
4. सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन करते समय|
5. आपदा के समय सहायता और राहत सामग्री के वितरण में|
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सिविल सेवकों के लिए वस्तुनिष्ठता

1. सभी सरकारी सेवकों के कार्य और निर्णय पूर्वाग्रह और व्यक्तिगत हितों से प्रभावित नहीं होना चाहिए|
2. जहां तक संभव हो सभी प्रकार के कार्य और सेवाओं के लिए मानक निर्धारित करने चाहिए ताकि कोई फेरबदल ना हो|
3. निर्णय एवं कार्यों में पारदर्शिता और निष्पक्षता रखनी चाहिए|
4. वस्तुनिष्ठता के अभाव मैं सिविल सेवा सुना तो मूल्यों की स्थापना कर सकता है ना रक्षा और ना ही पारदर्शिता निष्पक्षता तथा इमानदारी पूर्वक अपने कार्यों को संपन्न कर सकता है|
5. लड़कियों में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि लोगों को पता चल सके कि निर्णय क्यों लिया गया और किस आधार पर लिए गए|
6. एकरूपता की स्थिति होनी चाहिए क्योंकि निर्णय के कारणों का उल्लंघन होने पर संदेह का वातावरण होता है
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प्रश्न 24. समर्पण क्या है? लोकसेवकों में समर्पण की क्या उपयोगिता है?
उत्तर. समर्पण अंग्रेजी शब्द डेडिकेशन का हिंदी रूपांतरण है यदि व्यक्तिगत और सामाजिक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एक तीव्र मनः स्थिति है यह मनः स्थिति उद्देश्य के प्रति तीव्र भावनाएं पैदा करती है जो व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करती है|

 

लोकसेवकों में लोक सेवा के प्रति समर्पण के लक्षण

1. लोक सेवक को कार्यालयीन समय को ना देखते हुए समय से पहले तथा समय के बाद तक उत्साह पूर्वक कार्य करना चाहिए|
2. वंचित वर्गों की सहायता करना चाहिए जिससे आत्म संतोष की प्राप्ति होती है|
3. अपने अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए कि उपलब्ध संसाधन अधिक से अधिक लोगों को प्राप्त हो सके जिन को इसकी वास्तव में जरूरत हो|
4. यदि कोई व्यक्ति व्यक्तिगत सरकारी सेवाएं लेने के लिए औपचारिकताएं पूरी नहीं कर पा रहा हो तो उसकी मदद करना|
5. नियमों की अपेक्षा सकारात्मक परिणामों पर अधिक ध्यान देना|
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प्रश्न 25. सहानुभूति तथा समानुभूति में अंतर स्पष्ट कीजिए|
उत्तर. समानुभूति व्यक्ति की व संवेगात्मक समझ या छमता है जिसके द्वारा वह स्वयं को दूसरों की स्थिति के साथ जोड़कर उसकी महानता को महसूस करता है सामान्य अर्थों में किसी व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति पीड़ित प्राणी या काल्पनिक चरित्र की मन स्थिति को सटीक तरीके से समझना ही समानुभूति है समानुभूति के द्वारा एक प्रभावपूर्ण संवाद में उत्पन्न कठिनाइयों को सरलतापूर्वक दूर किया जा सकता है इसका चरम रूप वहां मिलता है जहां स्व तथा पर का अंतर मिटने लगता है|
सहानुभूति– सहानुभूति ऐसी भावना है जिसमें हम दूसरों को कठिनाई में देखकर औपचारिकता रूप से संवदना व्यक्त करते हैं उसे संतावना देते हैं उसे साहस बंधाते है यह एक तरह से व्यवहार है यह भावनात्मक संवेग मात्र होता है|
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प्रश्न 26. सहिष्णुता से आप क्या समझते हैं तथा धार्मिक सहिष्णुता को स्पष्ट कीजिए|
उत्तर. अपने से भिन्न व्यवहारों और मतों को सहन करने की क्षमता है सहिष्णुता है इसमें सह अस्तित्व का भाव विद्यमान होता है सहिष्णुता से आशय उन धर्मों मतो और विचारों के अस्तित्व को स्वीकार करने और सम्मान करने से है जो हमारे मत विचार और धर्म से भिन्न है|
सामाजिक समरसता तथा भाईचारे के लिए सहिष्णुता की अवधारणा अति आवश्यक है इसके अंतर्गत अपने विरोधियों के विचारों का सम्मान करना उन्हें सुनने और समझने की ताकत रखना यदि उनका पक्ष सही और तार्किक है तो उसे स्वीकार करना सहिष्णुता का महत्वपूर्ण आधार लोकतांत्रिक है|



 धार्मिक सहिष्णुता: अपने धर्म की मान्यता एवं सिद्धांतों को स्वीकार करते हुए दूसरे धर्मों के प्रति वैमनस्य तथा विरोध का भाव ना लाएं और उनके सिद्धांतों और मान्यताओं का भी सम्मान करें इस प्रकार विभिन्न धर्मों के बीच सद्भाव और सहानुभूति प्रकट करना ही धार्मिक सहिष्णुता है|
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प्रश्न 27. मनोवृति क्या है इसकी विशेषताएं तथा इसके प्रकारों को समझाइए?
उत्तर. मनोवृति मानसिक तत्परता को कहते हैं जो कि किसी व्यक्ति वस्तु स्थान समाज देश या परिस्थिति के प्रति परिलक्षित होती है सामान्य शब्दों में या किसी व्यक्ति या किसी वस्तु के प्रति नजरिया विचार दृष्टिकोण या मत प्रकट करना होता है यह अनुकूल या प्रतिकूल हो सकती है यह सकारात्मक तथा नकारात्मक हो सकती है उदाहरण जापान के लोग बहुत मेहनती होते हैं यह जापान के प्रति सकारात्मक नजरिया है मनोवृति जन्मजात नहीं होती बल्कि लोग समाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा स्कोर सीखते हैं और इसी के घृणा प्यार पसंद नापसंद आदि के बारे में बात कर रहे होते है तो हम अपनी मनोवृति का वर्णन कर रहे होते हैं इसी प्रकार एक प्रशासनिक अधिकारी की मनोवृति अपने आसपास की घटनाओं आम लोगों उच्च अधिकारियों कर्मचारियों अधीनस्थों नई तकनीकों तथा मानवीय मूल्यों के प्रति सकारात्मक होना चाहिए तभी वह अपने कार्य को कुशलता पूर्वक संपन्न कर सकता है|
 विशेषताएं
1. मनोवृति अर्जित हो जाने के कारण ज्ञान पर अच्छे बुरे वातावरण का अच्छा बुरा प्रभाव पड़ता है|
2. मनोवृति जन्मजात ना होकर अर्जित होती है अर्थात उम्र समय संगीत घटनाओं एवं परिस्थितियों के अनुसार मनोवृत्तियों का विकास होता है|
3. मनोवृति एक ऐसा मनोभाव होता है जो किसी घटना विचार या विषय से जुड़ा होता है अर्थात मनोवृति होने के लिए किसी घटना विचार या विषय का होना आवश्यक है|
4. व्यक्ति अपनी मनोवृत्तियों से प्रेरित होकर ही व्यवहार करता है जैसे माता-पिता भाई-बहन परिजन मित्र आदि के साथ सकारात्मक या अनुकूल मनोवृति होने के कारण हम बड़ा सौहार्दपूर्ण व्यवहार करते हैं जबकि किसी चोर डाकू आरोपी आतंकवादी के प्रति हमारी मनोवृति प्रतिकूल होने के कारण हमारा व्यवहार सख्त होता है|
5. मनोवृति हमारी पसंद नापसंद घृणा प्रेम स्वीकृति तथा विरोध आदि के रूप में अभिव्यक्त होती है|
6. यदि किसी व्यक्ति की किसी वस्तु के प्रति सकारात्मक मनोवृति है तो वह उसे पसंद करेगा प्यार करेगा तथा सभी कठिनाइयों में उसे प्राप्त करने की कोशिश करेगा लेकिन यदि उसकी मनोवृति नकारात्मक है तो वह उसे नापसंद करेगा उसे हटने का प्रयास करेगा|
7. एक बार मनोवृति विकसित होने पर समानता व स्थाई होती है लेकिन परिस्थितियों में परिवर्तन होने पर मनोवृत्तियों में भी परिवर्तन होता है|
8. कभी मनोवृति में दैध  क्रांति भी देखने को मिलती है अर्थात इसमें व्यक्ति की किसी वस्तु के प्रति सकारात्मक तथा नकारात्मक होना मनोवृत्तियों होती हैं|
9. मनोवृति आशावादी तथा निराशावादी दोनों प्रवृतियों को जन्म देती है अर्थात जीवन सुंदर है या पीड़ा यह सोच पैदा करती है|
10. मनोवृति एक मानसिक क्रिया है जिसे प्रत्यक्ष रुप से मापा नहीं जा सकता|
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मनोवृति के संगठन या प्रकार–
1. संज्ञात्मक : किसी वस्तु के संबंध में व्यक्ति के विचार तथा उसके विश्वास को संज्ञात्मक मनोवृति कहते हैं अर्थात उस वस्तु के विषय में उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर ही हम उसके विषय में अपनी धारणा बनाते हैं नकारात्मक या सकारात्मक|
उदाहरण- अगर हम किसी व्यक्ति के बारे में सोचते हैं कि वह असत्य है तो हम उसे असभ्य रूप में ही देखे थे और यही उस व्यक्ति के प्रति हमारा संज्ञात्मक घटक है|
2. भावात्मक/ संवेगात्मक :  मनोवृति की संरचना सबसे महत्वपूर्ण होती है इसका अर्थ है कि किसी वस्तु के प्रति व्यक्ति की पसंद नापसंद भाव सहानुभूति आदि से यह व्यक्ति के भावात्मक पक्ष से जुड़ा हुआ है मानव वृत्ति को प्रभावशाली तरीके से प्रदर्शित करने के लिए भावों तथा सम्वेदनाओं की आवश्यकता होती है|

3. व्यवहारात्मक : किसी वस्तु के साथ कोई व्यवहार या क्रिया करने की तत्परता को व्यवहारात्मक तत्व कहते हैं यह व्यक्ति के व्यवहार को निर्देशित करता है जैसे क्रोध करना भेदभाव पक्षपात करना आदि|


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