शैक्षणिक पृष्ठभूमि और उम्मीदवारों का प्रदर्शन

फस्‍ट डिविजन गारंटी नहीं, सेकेंड डिविजन असफलता का कारण

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को आरंभ में ही कई दुविधाओं का सामना करना पड़ता है। तैयारी के आरंभ से ही छात्रों के मन के अंदर कई मिथक होते हैं, जैसे उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में पढने वाले छात्रों की सफलता की संभावना सामान्‍य शिक्षण संस्‍थानों से पढ़ने वाले छात्रों की तुलना में काफी अधिक होती हैं। दूसरा, वैसे छात्र जो अपने ऐकेडमिक कैरियर में सदा प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण हुए हैं, उनकी सफलता की संभावना सामान्‍य एकेडमिक कैरियर वाले छात्रों की तुलना में अधिक होती हैं। कुछ हद तक य‍ह मिथक सत्‍य भी है, लेकिन इसे पूर्ण रूपेण सत्‍य नहीं माना जा सकता है। क्‍योंकि हाल के दिनों में सिविल सेवा परीक्षा में वैसे छात्र भी सफल हुए हैं, जो सामान्‍य शैक्षणिक पृष्‍ठभूमि से आते हैं।

चूंकि सिविल सेवा परीक्षा की प्रकृति गू़ढ़ व्‍याख्‍यात्‍मक प्रकार की रही है, और इसके लिए छात्रों के अंदर विश्‍लेषणात्‍मक दृष्टिकोण का होना अनिवार्य होता है, इसलिए यह आवश्‍यक नहीं कि यह क्षमता सिर्फ प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण होने वाले छात्रों के ही अंदर हो। सामान्‍य श्रेणी में पास छात्र भी बेहतर प्रदर्शन कर परीक्षा में सफल हो सकते हैं। यह सत्‍य है कि प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण होने वाला प्रत्‍येक छात्र सिविल सेवा में सफल नहीं रहा है, साथ ही यह भी सत्‍य है कि तृतीय श्रेणी में सफल होने वाला प्रत्‍येक छात्र इस परीक्षा में असफल रहा। अगर छात्र अपने शै‍क्षणिक योग्‍यता को अलग रखकर सही दृष्टिकोण अपनाकर परीक्षा की तैयारी करते हैं, तो वे भी इस परीक्षा में सफल हो सकते हैं। वैसे छात्र जो अपने शैक्षणिक योग्‍यता को लेकर संदेह की स्थिति में रहते हैं, उन्‍हें अपने मन से इस संदेह को दूर कर परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। सिविल सेवा परीक्षा में किसी भी अभ्‍यार्थी की गंभीरता, मेहनत तथा उसकी कार्यक्षमता का महत्‍व उसके सफलता में ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण योगदान निभाता है, नकि  उच्‍च शिक्षा अथवा सामान्‍य शिक्षा।

Performance of UPSC Candidates from Different Academic Backgrounds in Hindiसंघ लोक सेवा आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उच्‍च डिग्री धारकों में प्रथम श्रेणी वाले अभ्‍यार्थियों के चयन के संभावना सबसे अधिक रही है। ऐसे छात्रों के सफलता का अनुपात 1:9.0 रहा। प्रथम श्रेणी वाले सामान्‍य डिग्री धारकों के लिए अनुपात 1:10.99 रहा। अन्‍य श्रेणी के अंतर्गत उच्‍च डिग्री धारकों एवं सामान्‍य डिग्री धारकों के लिए यह अनुपात 1:15:48 तथा 1:17:60 था। अभ्‍यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन का सिविल सेवा परीक्षा पर स्‍पष्‍ट प्रभाव दिखता है। निश्चित रूप से इस परीक्षा में प्रथम श्रेणी वाले ने सतत् उल्‍लेखनीय सफलता प्राप्‍त की है। विगत् वर्षों में उच्‍च डिग्री धारकों की सफलता का अनुपात जहां 1:7.29 था वहीं प्रथम श्रेणी वाले सामान्‍य डिग्री धारकों के लिए यह अनुपात 1:10.49 था। एक अन्‍य आंकड़ों के अनुसार अन्‍य श्रेणी में पास होने वाले उच्‍च एवं सामान्‍य डिग्री धारकों की सफलता का अनुपात क्रमश: 1:13.75 तथा 1:19.22 था। अत: प्रथम श्रेणी वाले अभ्‍यर्थी चाहे वे उच्‍च डिग्री धारक हों या सामान्‍य डिग्री धारक, उनकी संभावना सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने में कहीं अधिक रही है।

उपरोक्‍त आंकड़ों से यह बात भी स्‍पष्‍ट हो जाती है, कि सिविल सेवा परीक्षा में सम्मिलित होने वाले और चयनीत होने वाले अभ्‍यार्थियों में प्रथम श्रेणी वाले अभ्‍यर्थियों की संख्‍या अधिक होती है, लेकिन इन आंकड़ों से परे कई ऐसे उदाहरण भी हैं, जो इस मिथक को तोड़ देते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा में चयनित होने के लिए उच्‍च श्रेणी या उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में पढ़ना अनिवार्य है। अगर वर्ष 2003, 2004, 2005, 2006, 20007, 2008 के सिविल सेवा के अंतिम परिणाम को अगर देखें तो इसमें कई ऐसे अभ्‍यार्थी उच्‍च रैंक पर चयनित हुए हैं, जिन्‍होंने न किसी उच्‍च शिक्षण संस्‍‍थान में पढ़ाई की है, और न ही वे अपने ऐकेडमिक कैरियर में सदा प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण हुए हैं। वैसे छात्र जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी आरंभ करना चाह रहे हैं, और उनमें अपने एकेडमिक कैरियर को लेकर संदेह है, तो वह इन अभ्‍यार्थियों को अपना आदर्श मानकर अपनी तैयारी कर सकते हैं और सफल हो सकते हैं। जैसा कि आरंभ में ही बताया गया है कि सिविल सेवा में चयन के लिए छात्रों में विश्‍लेषणात्‍मक दृष्टिकोण का होना अनिवार्य है, और यह दृष्टिकोण आवश्‍यक नहीं की सिर्फ उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में पढ़ने वाले और प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण छात्र में ही हो, अगर सामान्‍य श्रेणी में पास होने वाले छात्र भी कड़ी मेहनत करें और सही मार्गदर्शन प्राप्‍त करें तो वो भी इस परीक्षा में चयनित हो सकते हैं।

विगत वर्षों में सिविल सेवा परीक्षा में कई विश्‍वविद्यालय जैसे पंजाब विश्‍वविद्यालय, गुरूनानकदेव विश्‍वविद्यालय आदि से सफल होने वाले छात्रों में से एक भी प्रथम श्रेणी में सफल होने वाले छात्र नहीं थे। अत: अभ्‍यार्थियों को सदा अपनी योग्‍यता व क्षमता पर विश्‍वास करते हुए बिना भटकाव के ईमानदारी के साथ तैयारी करनी चाहिए।

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में यह आवश्‍यक नहीं है कि आपने अपने आरंभिक शैक्षणिक कैरियर में क्या प्रदर्शन किया है, इसमें सफलता के लिए आवश्‍यक है कि इस परीक्षा की तैयारी के दौरान आपका प्रदर्शन कैसा हो रहा है। अगर आप सामान्‍य श्रेणी से ही उत्‍तीर्ण छात्र हैं और सिविल सेवा परीक्षा के सभी स्‍तरों पर बेहतर प्रदर्शन कर सफल हो रहें हैं, तो यह ज्‍यादा सुखद है, अपितु इस बात के कि आप किसी बड़े संस्‍थान से पढ़कर या आपका बे‍हतर एकेडमिक रिकार्ड हो और  आप अंत में असफल हो जाते हैं। आपका अंतिम लक्ष्‍य तो इस परीक्षा में चयन होना है, न कि इस विषय में उलझना कि आपने कहां से पढ़ाई की है। यह परीक्षा आपके सोच, बौद्धिक स्‍तर और आपके पूरे व्‍यक्तित्‍व का परीक्षण है, न कि आपके एकेडमिक रिकार्ड का।

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